माइग्रेन एक सिरदर्द है जो आमतौर पर सिर के एक तरफ गंभीर दर्द या धड़कन की अनुभूति लिए होता है।यह अक्सर मतली, उल्टी, प्रकाश अथवा ध्वनि के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ होता है। माइग्रेन का दर्द कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक रह सकता है, और दर्द इतना भयानक हो सकता है कि यह आपकी दैनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप कर सकता है। आइये जानते है माइग्रेन क्यों होता है और किस प्रकार से इससे निजात पाई जा सकती है।
प्रायः माइग्रेन का मुख्य कारण पर्यावरणीय और आनुवांशिकीय कारकों के मिश्रण को माना जाता हैं।अधिकांश मामलो में पारिवारिक इतिहास में माइग्रेन का होना पाया जाता है। तो कुछ मामलो में अनियमित(Irregular) हार्मोन का स्तर भी एक भूमिका निभाता हैं। महिलाओ में माइग्रेन पुरुषों की तुलना में दो से तीन गुना अधिक देखने को मिलता है।
माइग्रेन के कारण
सामान्यता माइग्रेन का कारण न्यूरोवेस्कुलर विकार होता है, जिसमे सेरेब्रल कॉर्टेक्स (प्रमस्तिष्कीय आवरण) और ब्रेनस्टेम(रीढ़ के पास का मस्तिष्क का हिस्सा) के ट्राइगेमिनल न्यूक्लियस में न्यूरॉन्स का असमान्य उत्तेजना होना माना जाता है।माइग्रेन का अंतर्निहित कारण तो अभी तक अज्ञात है, परन्तु रिसर्च से पता चलता है कि माइग्रेन होने की मुख्य वजह प्रदूषित वातावरण, ख़राब लाइफ स्टाइल और कुछ मामलो में आनुवांशिक कारकों को माना जाता है।
माइग्रेन एक न्यूरोवेस्कुलर (स्नायु एवम संवहनी) बीमारी है। क्योकि यह मस्तिष्क के भीतर शुरू होता है और फिर रक्त वाहिकाओं तक फैलता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि न्यूरोट्रांसमिटर सेरोटॉनिन के उच्च स्तर, जिनको 5 हाइड्रॉक्सीट्राइप्टामाइन भी कहा जाता है, इसका जिम्मेदार है। इसके अतिरिक्त कई तरह की मनोवैज्ञानिक स्थितियां,अवसाद, चिंता और द्विध्रुवी विकार आदि कई जैविक घटनाएं को इसका जिम्मेदार माना जाता है।
महिलाओं में माइग्रेन
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को माइग्रेन होने की संभावना दो से तीन गुना तक अधिक होती है। माइग्रेन आमतौर पर तीस या उससे अधिक उम्र की महिलाओ को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। महिलाओ को माइग्रेन होने की मुख्य वजहों में मौखिक गर्भनिरोधक का उपयोग, गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति के पास का समय और रजोनिवृत्ति जैसे अन्य हार्मोन प्रभाव है इसके अतिरिक्त माहवारी के आसपास यह सबसे ज्यादा देखा जाता है।
पीरियड्स, बच्चे के जन्म के दौरान महिलाओं में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं। ये शारीरिक परिवर्तन ही एस्ट्रोजन के स्तर में असंतुलन का कारण बनते हैं जो माइग्रेन को ट्रिगर करते हैं। इसके अलावा, गर्भनिरोधक दवाएं भी माइग्रेन का कारण बन सकती हैं क्योंकि वे आपके शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा करती हैं। चुकि महिलाओ में हॉर्मोन्स का बहुत ही जटिल उतर चढाव होता है, यही कारण है की महिलाओ को माइग्रेन ज्यादा होता है।
मौन माइग्रेन
माइग्रीन के पेसेंट्स में अक्सर हाथ व बाजू के एक ओर पिन व सूई चुभने का एहसास होता है, जो कि बढ़ते हुए नाक और मुंह के क्षेत्र तक फैल जाता है।अंग सुन्न होने का एहसास होने लगता है, आमतौर पर झुनझुनी होती है जिसके साथ हाथ अथबा बाजू में संवेदन हीन हो जाती है।
कुछ अन्य लक्षणों में बोलने व भाषा संबंधी बाधायें दिखाई देती है,यह लक्षण संकेत देते हैं कि यह एक आधे सिर का माइग्रेन है। ऑरा लक्षणों के विपरीत कमजोरी एक से अधिक घंटे तक बनी रहती है। इन लक्षणों के प्रकट होने के बाद में होने वाला सिरदर्द जो बिना ऑरा का होता है। जिसकी संभाबना बहुत कम होती है, उसे मौन माइग्रेन कहते हैं।
लक्षणों से पहचाने माइग्रेन
एकतरफा (आधा सिर प्रभावित) ,धड़कता हुआ, दर्द की मध्यम या गंभीर तीव्रता, सिरदर्द के साथ मतली और/या उल्टी, प्रकाश (फोटोफोबिया) और ध्वनि (फोनोफोबिया) दोनों के प्रति संवेदनशीलता यदि किसी को निम्न में किन्ही दो लक्षणों का दो अथवा दो से अधिक दिन तक अनुभव साथ ही फोटोफोबिया, मतली, या काम करने या पढ़ने में अक्षमता जैसे लक्षणों का अनुभव हो तो इस बात की 95% सम्भावना है कि यह माइग्रेन का दर्द है।
प्रारंभ में माइग्रेन का दर्द सीमित समय के लिए साधारण सिरदर्द के सामान ना होकर, बार-बार गंभीर सिरदर्द के साथ होता है। इसके साथ कुछ विशिस्ट लक्षण भी होते हैं। जो माइग्रेन से पीड़ित लगभग 20-30% लोगों में दिखाई देते है। जैसे ऑरा के साथ माइग्रेन का अनुभव होना और जिन लोगों को ऑरा के साथ माइग्रेन होता है उनको अक्सर बिना ऑरा के भी माइग्रेन होता है।
माइग्रेन का अटैक होने पर मरीज को रोशनी, आवाज या किसी तरह की गंध नहीं सुहाती। माइग्रेन का दर्द अचानक होता है। कई बार यह शुरू में हल्का होता है, लेकिन धीरे-धीरे बहुत तेज दर्द में बदल जाता है।अधिकतर यह सिर के किसी एक तरफ शुरू होता है और कनपटी में बहुत तीव्रता से टीस उठती है या ऐसा लगता है कि कोई कनपटी पर प्रहार कर रहा है।
लेकिन कुछ मामलों में दर्द सिर के दोनों ओर भी होता पाया गया है। एक तरफ होने वाला दर्द अपनी जगह बदलता है और यह 4 से 72 घंटों तक रह सकता है। इस समय उबकाई आना, उल्टी, फोनोफोबिया और प्रकाश से भय आदि समस्याएं भी पैदा हो सकती है।
माइग्रेन किसी भी आयु में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर इसकी शुरुआत किशोर उम्र से होती है। माइग्रेन के ज्यादातर रोगी वे होते हैं, जिनके परिवार में माइग्रेन का इतिहास रहा हो। इसके कुल रोगियों में 75 प्रतिशत महिलाएं होती हैं। इसकी अनुभूति कई बार वास्तविक दर्द से दस मिनट से लेकर आधे घंटे पहले ही शुरू हो जाती है।
इस दौरान सिर में बिजली फट पड़ने, आंखों के आगे अंधेरा छा जाने और दिमाग में झन्नाहट का एहसास होता है। किसी-किसी मरीज को अजीब-अजीब सी छायाएं नज़र आती हैं। किसी को चेहरे और हाथों में सुइयां या या पिनें चुभने का एहसास होता है। लेकिन कई अध्ययनों से सामने आया है कि माइग्रेन के प्रभामंडल या ऑरा का एहसास केवल एक से पांच प्रतिशत रोगियों को ही होता है। इसे परंपरागत या क्लासिकल माइग्रेन कहा जाता है।
लेकिन यह महिलाओं में कम होता है।माइग्रेन में दर्द की तीव्रता, सिर दर्द की अवधि और दर्द होने की आवृत्ति अलग अलग व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न होती है। कुछ लोगो में यह दर्द कुछ घंटो के लिए होता है तो कुछ में 72 घंटे या उससे भी अधिक समय के लिए होता है। 72 घंटो चलने वाले माइग्रेन को स्टेटस माइग्रेनॉसस के नाम से जाना जाता है।
माइग्रेन के शुरुआती चार चरण
- पूर्व लक्षण या प्रोड्रोम: वे लक्षण जो सिरदर्द के कुछ घंटों या दिनों पहले से महसूस होने लगते हैं, पूर्व लक्षण कहलाते है।
- माइग्रेन का दूसरा चरण है “ऑरा” जो सिरदर्द के तुरंत पहले महसूस होने लगता हैं। परन्तु हर व्यक्ति या दर्द से पहले हर बार ऑरा महसूस हो यह जरुरी नही है।
- तीव्र सिरदर्द, इसे दर्द चरण के नाम से जाना जाता है, सर के एक तरफ तीव्र सिरदर्द होता हैं।
- अंतिम चरण को पोस्टड्रोम कहा जाता है। जब माइग्रेन का दर्द कम या समाप्त होता है, तो एक भारीपन लिए एक दर्द का अनुभाग होता है जिसे पोस्टड्रोम के नाम से जानते है।
माइग्रेन का प्रारंभिक चरण
माइग्रेन के दर्द से पूर्व के लक्षण माइग्रेन पीड़ित 60% से अधिक लोगो में दिखाई देते हैं। जो ऑरा या दर्द की शुरुआत से दो घंटो से लेकर दो दिनों पहले से दिखाई देने लगते है। इन लक्षणों में बार बार मूड का बदलाव, चिड़चिड़ापन, अवसाद, थकान, कुछ विशेष खाने की इच्छा, मांसपेशीय जकड़न (विशेष रूप से गर्दन में), कब्ज़ या दस्त, गंध या शोर के प्रति संवेदनशीलता इत्यादि शामिल होते है।
माइग्रेन के दौरान ऑरा (प्रभामंडल)
ऑरा एक केन्द्रीय तंत्रिका संबंधी घटना है जो सिरदर्द से पहले या उसके दौरान होती है। ऑरा को हम चमक या रौशनी कहते है। जो सिरदर्द से पहले दिखाई देती है जो कुछ ही मिनटों के दौरान अचानक दिखाई देती हैं और लगभग 60 मिनटों तक बने रहती हैं। माइग्रेन के अधिकांश मामलों में प्रायः ऐसा देखा जाता हैं।
माइग्रेन के रोगी को आम तौर पर यह ऑरा दृष्टि के केन्द्र के पास से शुरु होते प्रतीत होती हैं और फिर टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं में किनारों की ओर फैलते हैं, जो कि किले के समान लगती हैं। आमतौर पर यह रेखायें काली व सफेद होती है लेकिन कुछ लोगों को रंगीन रेखायें भी दिखती हैं।
माइग्रेन का दर्द
पारंपरिक रूप से माइग्रेन में सिरदर्द एकतरफा, चुभने वाला और मध्यम से गंभीर तीव्रता वाला होता है। आमतौर पर यह धीरे-धीरे हलके दर्द से प्रारंभ होता है। और शारीरिक गतिविधि के साथ बढ़ता जाता है। गर्दन में दर्द भी आमतौर पर इस दौरान हो सकता है। साधारणतया जिन लोगों को बिना ऑरा के माइग्रेन होता है उनमें दोतरफा सिरदर्द काफी आम है। वयस्कों और बच्चों में यह दर्द की आवृत्ति भिन्न-भिन्न होती है, जो पूरे जीवन में कुछ एक बार से लेकर एक सप्ताह में कई बार तक हो सकता है, जिसका औसत एक महीने में एक बार तक हो सकता है।
बुजुर्गों में दर्द के साथ उल्टी के लक्षण दिखाई देते है साथ ही थोड़े से आवाज़ से इर्रिटेशन होती है। इसी कारण बहुत से लोग एक शांत कमरे की तलाश करते हैं।अन्य लक्षणों में धुंझला दिखना, नाक बंद होना, दस्त, बार-बार पेशाब करने जाना, ज्यादा पसीना आना शामिल है। कुछ लोगो में खोपड़ी में सूजन या कोमलता के एहसास के साथ गर्दन में जकड़न भी हो सकती है।
माइग्रेन पोस्टड्रोम
माइग्रेन का प्रभाव मुख्य सिरदर्द समाप्त के बाद कुछ दिनों तक रहता है. इसे माइग्रेन पोस्टड्रोम कहा जाता है। अनेक लोग माइग्रेन वाले हिस्से में पीड़ा होने का अनुभव करते हैं और कुछ लोगों को सिरदर्द समाप्त होने के बाद कुछ दिनों तक रोगी को थकान या ‘‘खुमारी’’ का एहसास हो सकता है तथा उसे सिर में दर्द, संज्ञानात्मक कठिनाइयां, पेट खराब होने के लक्षण, मूड में बदलाव और कमजोरी महसूस हो सकती है।
माइग्रेन का उपचार
माइग्रेन का उपचार लक्षणों के आधार पर किया जाता है। कभी-कभी सिर दर्द के अन्य कारणों को पता करने के लिये इमेजिंग परीक्षण किया जाता है। जिससे माइग्रेन की स्थति तथा सिरदर्द के अन्य का पता लगाया जाता है।
सभी रोगियों में माइग्रेन के पूर्व लक्षण नहीं दिखाई देते है, इसलिए उनके लिए डायरी में अपनी अनुभूतियां को दर्ज करना बहुत उपयोगी हो सकता है। ताकि वह जान सके की उनको माइग्रेन का दर्द शुरू होने वाला है, ताकि दवा की सहायता से इन ट्रिगर्स से समय रहते बचकर, माइग्रेन को टाल सकते हैं।
कभी-कभार माइग्रेन का हल्का-फुल्का दर्द होने पर दैनिक कार्य प्रभावित नहीं होता। प्रायः ऐसे रोगी बिना किसी डाक्टरी राय के सीधे दवाई विक्रेता से मिलने वाले आम दर्दमारक दवाइयां ले सकते हैं, जैसे कि क्रोसीन या गैर-स्टैरॉयड जलन मिटाने वाली गोलियां डिस्प्रिन, ब्रूफेन इत्यादि। (यदि आप इन दवाईओं के साइड इफेक्ट्स के बारे में नहीं जानते तो इनके सेवन से पूर्व डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें )
भीषण दर्द होने पर दो प्रकार की दवाएं काफी प्रभावशाली होती हैं। पहली- जलन मिटाने वाली कैफीन रहित गोलियां जैसे मेफ्टल फोर्ट और दूसरी ट्रिप्टान, जब माइग्रेन पर आम पेन किलर्स का कोई असर नहीं होता तब भीषण दर्द में सीधे ही ट्रिप्टान दवाओं का सहारा लेना सर्वाधिक कारगर होता है। ट्रिप्टान दवाएं दर्द शुरू होने से पहले, या मामूली दर्द शुरू हो जाने पर भी ली जा सकती हैं। इससे इनका असर बढ़ जाता है। ऐसा करके माइग्रेन के 75 प्रतिशत हमलों को दो घंटे में खत्म किया जा सकता है। इससे दवा का दुष्प्रभाव (साइड-इफैक्ट) भी कम हो जाता है और अगले 24 से 48 घंटों में माइग्रेन दर्द की संभावना भी नहीं रहती।
कुछ दवाएं ऐसी हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह और मार्गदर्शन से ही लिया जा सकता है। इन्हें एर्गोटैमिन्स साल्ट्स कहा जाता है। एर्गोटैमिन्स वर्ग में एर्गोमार, वाइग्रेन, कैफरगोट, माइग्रेनल और डीएचई-45 साल्ट्स आते हैं। अन्य ट्रिप्टान दवाओं की तरह ये भी धमनियों को तो खोलती हैं, लेकिन हृदय की धमनियों को कुछ ज्यादा ही खोल देने की सम्भाना होती हैं, इसलिए इनको कम सुरक्षित माना जाता हैं।
यहां और ध्यान योग्य बात है कि कई बार सिरदर्द दूसरी खतरनाक और जानलेवा बीमारियों का भी संकेत भी होता है। इसलिए बार-बार होने वाले तेज सिरदर्द, गर्दन दर्द, अकड़न, जी मिचलाने या आंखों के आगे अंधेरा छा जाने आदि लक्षणों को बिलकुल भी नज़र अंदाज न करें और तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिये।
माइग्रेन के अन्य वैकल्पिक तथा घरेलु उपचार
होम्योपैथी उपचार :
माइग्रेन का होम्योपैथी उपचार बहुत ही कारगर है। होम्योपैथी में बैलाडोना – 30, ब्रायोनिया -30, ग्लोनाइन -30, जेलसीमियम-30 इत्यादि दवाइयों में से किसी एक या कॉम्बिनेशन की चार – चार बूंदें दिन में चार बार लेने से माइग्रेन में बहुत आराम मिलता है।
माइग्रेन में योग
माइग्रेन का निवारण योगासन द्वारा भी किया जा सकता है। माइग्रेन में शवासन सबसे उत्तम आसान है। इसके अतिरिक्त सुबह-शाम ब्रह्म मुद्रा, कंध संचालन, शशकासन के पश्चात प्राणायाम करें। शांत वातावरण में सुबह किसी भी आराम दायक मुद्रा में बैठ कर श्वास धीरे-धीरे अंदर भरें, तब तक दोनों हाथ बिना मोड़े सिर की तरफ जमीन पर ले जाकर रखें और श्वास बाहर निकालते वक्त धीरे-धीरे दोनों हाथ बिना कोहनियों के मोड़ें व वापस यथास्थिति में रखें। अंत में कुछ देर शवासन करके नाड़िशोधन प्राणायाम करें। ऐसा प्रतिदिन करें, बहुत ही सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते है। .
घरेलु उपचार
बटरबर की जड़ का रस माइग्रेन की बहुत ही प्रभावी आयुर्वेदिक दवाई जिसका उपयोग घरेलु उपचार में भी किया जाता है।
इस दर्द में यदि सिर, गर्दन और कंधों की मालिश की जाए तो यह इस दर्द से आराम दिलाने बहुत सहायक सिद्ध हो सकती है। मालिश के लिए हल्की खुश्बू वाले अरोमा तेल का प्रयोग किया जा सकता है। ठंडे या गर्म पानी की हल्की मालिश भी की जा सकती है।
इसके लिए एक तौलिये को गर्म पानी में डुबाकर, उस गर्म तौलिये से दर्द वाले हिस्सों की मालिश करें। कुछ लोगों को ठंडे पानी से की गई इसी तरह की मालिश से भी आराम मिलता है। इसके लिए बर्फ की ठंडी सिकरी कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त अरोमा थेरेपी माइग्रेन के दर्द से काफ़ी आराम पहुंचाता है। इस तरीके में हर्बल तेलों के एक तकनीक के माध्यम से हवा में फैला दिया जाता है या फिर इसको भाप के द्वारा चेहरे पर डाला जाता है। इसके साथ हल्का संगीतक भी चलाया जाता है जो दिमाग को आराम पहुँचाता है।